एक बार एक घुमक्कड़ यूरोपी पटना पंहुचे । अक्सर सैलानी गया और नालंदा जाने के लिए, पटना को 'गेटवे' की तरह इस्तेमाल करते है और देश विदेश से आने वाले सैलानी पटना में एक रात गुजार कर अगली सुबह गया या नालंदा के लिए अपनी यात्रा प्रारम्भ करना बेहतर समझते है ।
हमारे घुमक्कड़ यूरोपी, पूरे यूरोप , पश्चिमी और मध्य एशिया अपने कार से सफर करने के बाद भारत पधारे थे ।
भारत के सडको पे कार चलाना मुश्किल था उनके लिए , इसलिए कार को दिल्ली के एक गराज में रख , बस और रेल से भारत भ्रमण करने का उन्होंने निर्णय लिया था ।
शाम का वक्त था। पटना स्टेशन से बाहर निकलने के बाद हमारे घुमक्कड़ साहब कही टेंट लगाने की जगह ढूँढना शुरू किए । पटना में तो टेंट सिर्फ़ नीम हकीम लगाते है और वो भी दोपहर के वक्त गांधी मैदान में। कोई विदेशी अगर तम्बू गाड़ने की कोशिश करे तो जमघट लगने में २ मिनट का समय भी नही लगेगा।
लोगो की हरकतों से हमारे घुमक्कड़ साहब को समझ में आ गया था की यहाँ टेंट नही लगाई जा सकती और रात बिताने के लिए होटल जाना भी हमारे घुमक्कड़ साहब को गवारा था नही । अब सोए तो कहा सोए ? रेलवे स्टेशन के सारे प्लात्फोर्म भी हॉउस फुल थे । टौवाते रहे २-३ घंटा इधर- उधर ।
इत्तफाक से एक रिक्शे वाले की नज़र इनपे पड़ गई। रिक्शे वाले को समझ में आ गया था की जनाब को क्या चाहिए। इशारे - इशारे में सौदा पक्का हुआ । रैन बसेरा में एक रात गुजारने के लिए ४० रुपये ।
दिन भर के थके हमारे घुमक्कड़ साहब अपना स्लीपिंग बैग निकाले और सो गए रैन बसेरा में। हमारे घुमक्कड़ साहब तो घोडे बेच कर सो गए और इधर रातो रात पूरे शहर में हल्ला हो गया की एक विदेशी रिक्शे वालो के बिच रैन बसेरा में सो रहा है । कोई विदेशी लाचार होकर तो रैन बसेरा में सोयेगा नही , हो न हो ये इश्वर के अवतार है ।
गरीबो के मसीहा है ।
सुबह जब घुमक्कड़ साहब की नींद खुली, तो देखते है की सभी रिक्शे वाले उन्हें दंडवत प्रणाम कर रहे है। पूरे विश्व में श्रद्धा की एक ही भाषा होती है और पूरे विश्व में श्रद्धा और पागलपन के बिच की लकीर भी काफ़ी पतली होती है। रिक्शे वाले शायद हमारे घुमक्कड़ साहब को अवतार घोषित कर दिए थे । घबराए हुए से घुमक्कड़ साहब जल्दी -जल्दी अपना बोरिया बिस्तार समेटे और निकल लिए वहा से। डरे हुए से घुमक्कड़ साहब को शायद याद आ गया होगा की यहाँ भारत में बकरे को हलाल करने से पहले उसकी आरती उतारी जाती है।
9/13/09
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3 comments:
Is it a true incident?
Yep!
:))
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