6/16/07

विलाख - क्लैगन्फ़ुर्त

“जाना था कही और ..कही हम और निकल आए….”
अपना प्लान तो तारवीसीयो जाने का था.. लेकिन बस से तारवीसीयो का नज़ारा अच्छा नही लगा, हम बैठे रह गए और देखते ही देखते ईटली की सीमा पार कर आस्ट्रिया आ पहुंचे . बस से उतरने के बाद पता चला कि जिस शहर मे हम पहुंचे है, उसका नाम है
विलाख.
अपने साथी ,कैली से मैने कहा.. ’अब आ ही गए है तो चलो घुम लिया जाए’
कैली की आंखो मे दुविधा साफ़ झलक रही थी.. :P ..
विलाख रेल्वे स्टेशन से हमने पता किया कि विलाख से सबसे नजदीक बडा शहर क्लैगन्फ़ुर्त है. ’तकरीबन २ घंटे लगेंगे जाने मे…कैली भाई, चला जाए.. ’
’हे..हे…अब आ ही गए है तो ……. ’

आस्ट्रिया के रेल्वे स्टेशन बहुत ही खूबशुरत है.क्लैगन्फ़ुर्त का रेल्वे
स्टेशन किसी हवाई अड्डे से कम नही दिखता.अब आपके रेफ़रेन्श के लिए एक फ़ोटो लगाए देता हुं .. हे हे.. :D



जब हम क्लैगन्फ़ुर्त पहुंचे तब दिन ढल चुका था. बिल्ला सुपर मार्केट से हमने कुछ-कुछ खाया और फ़िर इधर-उधर टाईम पास किया.. ;)
थकावट जरा भी नही थी.. रात मे ही शहर को इक्स्प्लोर करने हम निकल पडे.
क्रिसमस का टाइम था, इसलिए थोडी-बहुत चहल-पहल थी.



रात मे हमने शहर का चक्कर लगाया.. कुछ अजीब से चीज़े देखी ..और चलते गए..पौ फटने तक हम चलते रहे… मीनी मुन्डुस पहुंचे तो पता चला कि वो बन्द है..



रास्ते मे एक मैदान दिखा था जिसमे शतरंज के बडे-बडे खाने बने हुए थे और एक किनारे मे बडे-बडे प्यादे भी रखे हुए थे. उन प्यादो को उठाने के लिए आपको अपना दोनो हाथ लगाना पड जाएगा.बगल मे दर्शको के बैठने के लिए सिढियां भी बनी हुई थीं. किसी जमाने मे शतरंज के खेल का लुत्फ़ उठाने लोग आते होंगे..
आज तो चेसबोर्ड और प्यादो पे काई कि एक परत जम गई है.
मेरे कैमरे मे बैट्री नही थी यार…सौरी..फ़ोटो नही ले पाए.
’कैली, बैट्री खत्म हो चुका है और शाम तक ’उदीने’ भी पहुचना है.. लौटा जाए.’
’ह्म्म्म्म…’

रविवार को आस्ट्रिया मे तकरीबन सारी दुकाने बंद होती है.
कितना कुछ था खरीदने के लिए .. बट  संडे था.. क्या करते..विन्डो सापिंग करके ही दिल को तसल्ली दिए..
दोपहर तक हम विलाख वापस आ गए थे..
और शाम सात बजे तक उदीने.
एक अफ़सोस रहेगा, विलाख और क्लैगन्फ़ुर्त के आधे से ज्यादा यादों को कैमरे मे कैद नही कर पाए…

PS : आस्ट्रिया मे कही भी अगर ऐसा कुछ दिखेगा -->



तो उसको हाथ नही लगाने का.. :P
और आस्ट्रिया जाए तो डोनर केबाब जरुर से खाए !

2 comments:

Unknown said...

haha..sahi hai.
hindi matra ki bahut mistake hai..correct kiya jaaye..
aur jaldi hi sab jegehon ki yaatra ka vistrit mein varnan kiya jaaye..


..cali

Saurav Arya said...

hindi ki maatra ki jo mistake hai amit bhai wo to browser ke kaaran hai.. :( ..filhal to koi nidaan nahi hai.. aur jagaho ke post abhi kiye dete hai..